Thursday, December 23, 2010
Friday, December 17, 2010
होम्योपैथी चिकित्सा पद्दति – IIT वैज्ञानिकों की नजर मे
पाठक गणहोम्योपैथी चिकित्सा पद्दति – IIT वैज्ञानिकों की नजर मेहोम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें ब्लोगपर से साभार प्रस्तुत है. |
होम्योपैथी चिकित्सा पद्दति – IIT वैज्ञानिकों की नजर मे होम्योपैथी चिकित्सा पद्दति के साथ सबसे बडी दिक्कत उ्सको प्रयोगशाला मे विशवसनीयता को साबित करना है । एक सदी से होम्योपैथी विभिन्न चिकित्सा कर्मियों और विशेषकर वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण मे एक अनबूझी पहेली सी लगती रही है । तमाम क्लीनिकल परिणामॊ को दरकिनार रखते हुये बात उसके वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर ही टिक जाती है । हाल ही मे IIT मुम्बई के वैज्ञानिकों ने होम्योपैथी दवाओं की कार्य प्रणाली को समझने की कोशिश की है ।IIT मुम्बई की इस टीम के अनुसार होम्योपैथी की मीठी गोलियों नैनोटेकोनोलोजी के सिद्दांत पर काम करती हैं । देखें पूरी रिपोर्ट http://homeopathyresearches. लेकिन मूल प्रशन कि होम्योपैथी के विरोध का कारण क्या है ?
होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा को विस्तार मे समझने के लिये औषधि निर्माण की प्रक्रिया को समझना पडेगा । होम्योपैथिक औषधियों मे प्राय: दो प्रकार के स्केल प्रयोग किये जाते हैं । क) डेसीमल स्केल ( Decimal Scale ) ख) सेन्टीसमल स्केल ( Centesimal Scale ) क) डेसीमल स्केल मे दवा के एक भाग को vehicle ( शुगर आग मिल्क ) के नौ भाग से एक घंटॆ तक कई चरणॊं मे विचूर्णन ( triturate ) किया जाता है । इनसे बनने वाली औषधियों को X शब्द से जाना जाता है जैसे काली फ़ास 6x इत्यादि । 1X बनाने के लिये दवा का एक भाग और दुग्ध-शर्करा का ९ भाग लेते हैं , 2X के लिये 1X का एक भाग और ९ भाग दिग्ध शर्करा का लेते हैं ; ऐसे ही आगे कई पोटेन्सी बनाने के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग लेते हुये आगे की पावर को बढाते हैं । डेसीमल स्केल का प्रयोग ठॊस पदार्थॊं के लिये किया जाता है । ख) सेन्टीसमल स्केल मे दवा के एक भाग को vehicle ( एलकोहल) के ९९ भाग से सक्शन किया जाता है । इनकी इनसे बनने वाली औषधियों को दवा की शक्ति या पावर से जाना जाता है । जैसे ३०, २०० १००० आदि । सक्शन सिर्फ़ दवा के मूल अर्क को एल्कोहल मे मिलाना भर नही है बल्कि उसे सक्शन ( एक निशचित विधि से स्ट्रोक देना ) करना है । आजकल सक्शन के लिये स्वचालित मशीन का प्रयोग किया जाता है जब कि पुराने समय मे यह स्वंय ही बना सकते थे । पहली पोटेन्सी बनाने के लिये दवा के मूल अर्क का एक हिस्सा और ९९ भाग अल्कोहल लिया जाता है , इसको १० बार सक्शन कर के पहली पोटेन्सी तैयार होती है ; इसी तरह दूसरी पोटेन्सी के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग और ९९ भाग अल्कोहल ; इसी तरह आगे की पोटेन्सी तैयार की जाती हैं । होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा और आवोग्राद्रो ( Avogadro’s ) की परिकल्पना रसायन विज्ञान के नियम के अनुसार किसी भी वस्तु को तनु करने की एक परिसीमा है और इस परिसीमा मे रहते हुये यह आवशयक है कि उस तत्व का मूल स्वरुप बरकरार रहे । यह परिसीमा आवोग्राद्रो की संख्या ( 6.022 141 99 X 1023 ) से संबधित है जो होम्योपैथिक पोटेन्सी 12 C से या 24 x से मेल खाता है । यानि आम भाषा मे समझें तो होम्योपैथिक दवाओं की १२ वीं पोटेन्सी और 24 X पोटेन्सी मे दवा के तत्व विधमान रहते हैं उसके बाद नही । होम्योपैथिक के विरोधियों के हाथ यह एक तुरुप का पत्ता है और जाहिर है उन्होने इसको खूब भुनाया भी । यह बिल्कुल सत्य है कि रसायन शास्त्र के अनुसार होम्योपैथी समझ से बिल्कुल परे है । लेकिन पिछले २४ वर्षों मे १८० नियंत्रित ( controlled ) और ११८ यादृच्छिक ( randomized ) परीक्षणों को अलग -२ ४ मेटा तरीकों से होम्योपैथी का विश्लेषण करने के उपरांत प्रत्येक मामले में शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि होम्योपैथी दवाओं से मिलने वाले परिणाम प्लीसीबो से हट कर हैं ।
|
Friday, October 08, 2010
વિશ્વની સૌથી ઊઁચી પ્રતિમા - ગુજરાત ગૌરવ . . . STATUE OF UNITY
વિશ્વની સૌથી ઊઁચી પ્રતિમા - ગુજરાત દ્વારા ભારતના લોખંડી પુરૂષ સરદાર વલ્લભભાઈ ને સાદર વંદન.
Thursday, July 15, 2010
होम्योपैथी औषधि ’ बेलोडोना ’ का दिमागी ज्वर मे सफ़ल रोल
साभार : होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें
होम्योपैथी औषधि ’ बेलोडोना ’ का दिमागी ज्वर मे सफ़ल रोल – एक शोध पत्र (New Study Proves Homeopathy Prevents Japanese Encephalitis)
हाल ही में स्कूल आफ ट्रापिकल मेडिसिन, कोलकाता के माइक्रोबायलोजी विभाग और केंद्र सरकार के संयुक्त तत्वावधान में प्रयोगशाला परीक्षण हुआ। इसमें चूहों के शरीर में पहले इंसेफ्लाइटिस के वायरस को प्रवेश कराया गया। इसके बाद इन पर बेलाडोना के असर का अध्ययन हुआ। नतीजे बेहतर आये और अमेरिकन जरनल आफ इंफेक्शियस डिजीज ने इस माह अपने ताजा अंक में प्रयोगशाला परीक्षण ने नतीजों को प्रकाशित किया है।
देखे यहाँ
CCRH ( सेन्ट्रल काउन्सिल आफ़ होम्योपैथी ) द्वारा प्रयोजित विभिन्न सेन्ट्रर पर चल रहे क्लीनिकल और प्रयोगशाला परीक्षण में जे ई ( दिमागी बुखार ) पर होम्योपैथिक दवाएं काफी प्रभावी साबित हुई हैं। नतीजों से उत्साहित होम्योपैथिक विभाग ने जेई और स्वाइन फ्लू से लोगों को प्रतिरक्षित करने की एक विस्तृत योजना शासन को सौंपी है। असिस्टेंट निदेशक डा. जेपी सिंह के अनुसार बीते आठ वर्षो से गोरखपुर, महाराजगंज और देवरिया में जेई समेत अन्य सभी प्रकार के दिमागी बुखार के रोगियों को विशेषज्ञ डाक्टरों व कर्मचारियों द्वारा होम्योपैथिक दवा बेलाडोना दी गयी। मरीजों पर लगातार नजर रखी गयी। इसके नतीजे उत्साहवर्धक हैं। दवा के सेवन से न केवल ऐसे रोगी जल्दी ठीक हुए बल्कि अन्य में दिमागी बुखार के प्रति अप्रत्याशित ढंग से प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। क्लीनिकल ट्रायल के इन परिणामों पर सेंट्रल काउंसिल फाररिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) ने भी अपनी मुहर लगा दी है।
New Study Proves Homeopathy Prevents Japanese Encephalitis
Decreased Intensity of Japanese Encephalitis Virus Infection in Chick Chorioallantoic Membrane Under Influence of Ultradiluted Belladonna Extract. American Journal of Infectious Diseases 6 (2): 24-28, 2010.
The homeopathic remedy Belladonna is effective in preventing Japanese Encephalitis (JE), says a recent study conducted by the Department of Microbiology at the School of Tropical Medicine in Kolkata, the Department of Clinical and Experimental Pharmacology at the School of Tropical Medicine in Kolkata, the University of Health Sciences in Kolkata, the Department of Pathology and Microbiology in West Bengal, in collaboration with the the Drug Proving Research Centre of the Central Council for Research in Homeopathy (CCRH), and the Government of India in Kolkata, and the Department of AYUSH Ministry of Health in New Delhi.
There are only few recent studies, which were aimed to treat Japanese encephalitis with newer drugs. There is thus a real need for study on antiviral agents that can reduce the toll of death and neurological sequelae resulting from infection with this virus.
Approach: Optimum dilution of the JE virus was determined which could produce significant number of pocks on Chorioallantoic Membrane (CAM). Then ultradiluted Belladonna preparations were used to see their inhibitory action on JE virus infection in CAM.
Results: Ultradiluted Belladonna showed significantly decreased pock count in CAM in comparison to JE virus control.
Conclusion: Ultradiluted Belladonna could inhibit JE virus infection in CAM, which may be mediated through glycosidase inhibitory role of calystegines present in Belladonna.
Study conducted by: 1Bhaswati Bandyopadhyay, 2Satadal Das, 1Milan Sengupta, 3Chandan Saha, 4Kartick Chandra Das, 4Debabrata Sarkar and 5Chaturbhuj Nayak. 1Department of Microbiology, Virology Unit, School of Tropical Medicine, Kolkata-700073, India. 2Department of Pathology and Microbiology, D.N. De H. Medical College, West Bengal University of Health Sciences, Kolkata-700046, India. 3Department of Clinical and Experimental Pharmacology, School of Tropical Medicine, Kolkata-700073, India. 4Drug Proving Research Centre, CCRH, Government of India, Kolkata-700 046, India. 5Department of AYUSH, Ministry of Health, CCRH, Government of India, JLN Anudandhan Bhawan, 61-65 Intitutional Area, Janakpuri, New Delhi 110058.
Wednesday, June 09, 2010
होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें
Homeopathic drugs Natrum sulphuricum and Carcinosin prevent azo
dye-induced hepatocarcinogenesis in mice
जून 9, 2010 ·
पिछ्ले दिनों ICRH पर कैन्सर कोशिकाओं पर होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोगों पर दो रिसर्च पेपर पब्लिश हुये । कल्याणी यूनिवर्सिटी के श्री अनीसुर रहमान खुदाबख्श और उनके सहयोगियों का ’Homeopathic drugs Natrum sulphuricum and Carcinosin prevent azo dye-induced hepatocarcinogenesis in mice’ और आमला कैन्सर रिसर्च सेन्टर , केरल के रामदास कुटन , हरीकुमार और अन्य का शोध पत्र , ’ Inhibition of Chemically Induced Carcinogenesis by Drugs Used in Homeopathic Medicine ’ । इन दोनों शोध पत्रों मे ’ Inhibition of Chemically Induced Carcinogenesis by Drugs Used in Homeopathic Medicine ’ मे लगभग वही तथ्यों को दोहराया गया जो इसके पहले प्रशान्त बैनर्जी कैन्सर रिसर्च फ़ाउन्डेशन ने अपने कई शोध पत्रों मे रुटा और उअसके पर्योगों पर दिये थे , देखें विस्तृत वर्णन के लिये यहाँ ।
लेकिन बात करते हैं अनीसुर रहमान खुदाबख्श के शोध पत्र की । यह पेपर लीक से हट्कर था । प्रथम तो इसमे होम्योपैथी के मूलभूत सिद्धातों ( एकमैव औषधि- single medicine ) को नजरांदाज किया गया और दूसरा औषधि के परीक्षण के लिये चूहों का सहारा लिया गया । तो सबसे पहले विवरण :
विवरण :
इस शोध का मकसद होम्योपैथिक औषधि कारसीनोसिन २०० ( carcinocin 200 ) और नैट्रेम सल्फ़ ३० ( Nat sulph-30) का कार्य p-dimethylaminoazobenzene (p-DAB) and phenobarbital (PB) रसायन खिलाकर लिवर कैन्सर से पीडित हुये चूहों पर देखना था ।
इसके लिये चूहों को सात उप समूहों मे विभाजित किया गया ।
१. सामान्य अनुपचारित;
२. सामान्य + एल्कोहल उपचारित
३. p-DAB (0.06%) + PB (0.05%);
४. p-DAB + PB + एल्कोहल उपचारित
५. p-DAB + PB + Nat sulph-30
६. p-DAB + PB + Car-200
७. p-DAB + PB + Nat sulph-30+Car-200
इन चूहों को क्रमश: ३०. ६०. ९०.और १२० दिनों के अंतराल पर मारकर उनके cytogenetical end-points जैसे chromosome aberrations, micronuclei, mitotic index , sperm head anomaly और cytotoxicity का विशलेषण किया गया । इसके अलावा, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्म अध्ययन और मैट्रिक्स metalloproteinases के लिए जेलाटीन zymography (एम एम पी) जिगर में 90 और 120 पर किये गये ।
परिणाम :
परिणाम दिखाते हैं कि सिर्फ़ नैट्रेम सल्फ़ ३० ( Nat sulph-30) पर रखे गये कैन्सर से पीडित चूहों और कारसीनोसिन २०० को नैट्र्म सल्फ़ के साथ संयोजित करके चूहों मे लीवर की कई गांठॊ ( liver tumours ) मे व्यापक सुधार दिखाई दिया और कई क्षेत्रों मे सकारात्मक और संरचनात्मक परिवर्तन दिखाई दिये जैसे MMPs expression, genotoxic parameters, lipid peroxidation, y-glutamyl transferase, lactate dehydrogenase, blood glucose, bilirubin, creatinine, urea and increased GSH, glucose-6-phosphate dehydrogenase, superoxide dismutase, catalase, glutathione reductase activities and hemoglobin, cholesterol, and albumin levels.मे व्यापक सुधार दिखाई दिया ।
नैट्रेम सल्फ़ ३० (Nat sulph-30 )के साथ carcinocin 200 (कारसीनोसिन २००) को देने से genotoxicity , cytotoxicity hepatotoxicity के खिलाफ अतिरिक्त लाभ दिखाई दिये
Homeopathic drugs Natrum sulphuricum and Carcinosin prevent azo dye-induced hepatocarcinogenesis in mice.
Nandini Bhattacharjee, Pathikrit Banerjee and Anisur Rahman Khuda-Bukhshh.
Indian Journal of Biochemistry & Biophysics’,
Vol-46, August 2009, PP. 307-318.
The study was undertaken to examine whether Carcinosin-200 (Car-200) could provide additional ameliorative effect, if used intermittently with Natrum sulphuricum-30 (Nat sulph-30) against hepatocarcinogenesis induced by chronic feeding of p-dimethylaminoazobenzene (p-DAB) and phenobarbital (PB) in mice (Mus musculus).
Mice were randomly divided into seven sub-groups:
(i) normal untreated;
(ii) normal+succussed alcohol;
(iii) p-DAB (0.06%) + PB (0.05%);
(iv) p-DAB + PB +succussed alcohol
(v) p-DAB + PB + Nat sulph-30,
(vi) p-DAB + PB + Car-200, and
(vii) p-DAB + PB + Nat sulph-30+Car-200.
They were sacrificed at 30, 60, 90 and 120 days for assessment of genotoxicity through cytogenetical end-points like chromosome aberrations, micronuclei, mitotic index and sperm head anomaly and cytotoxicity through assay of widely accepted biomarkers and pathophysiological parameters.
Additionally, electron microscopic studies and gelatin zymography for matrix metalloproteinases (MMPs) were conducted in liver at 90 and 120 days.
Results showed that administration of Nat sulph-30 alone and in combination with Car-200 reduced the liver tumors with positive ultra- structural changes and in MMPs expression, genotoxic parameters, lipid peroxidation, y-glutamyl transferase, lactate dehydrogenase, blood glucose, bilirubin, creatinine, urea and increased GSH, glucose-6-phosphate dehydrogenase, superoxide dismutase, catalase, glutathione reductase activities and hemoglobin, cholesterol, and albumin levels.
Thus intermittent use of Car-200 along with Nat sulph-30 yielded additional benefit against genotoxicity, cytotoxicity hepatotoxicity and oxidative stress induced by the carcinogens during hepatocarcinogenesis.
Saturday, May 15, 2010
मिर्च खाएं और मोटापा भूल जाएं …
आपको लगता होगा कि मिर्च खाकर सिर्फ मुंह में ही जलन होती है पर वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इससे शरीर का फैट भी जलता है। यकीनन इससे अच्छी बात क्या हो सकती है क्योंकि मिर्च खाइए और मोटापे की चिंता भूल जाइए
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने रिसर्च में पाया कि मिर्च खाने से शरीर में जो हीट बनती है, वह हमारे कैलरी उपभोग को बढ़ाती है और फैट की परतों को पतला करती है। और हां, अगर आप ज्यादा तीखी मिर्च नहीं खा पाते तो भी गुड न्यूज है।
रिसर्चरों ने पाया कि कैपसेइसिन नाम का मेन तत्व कुछ कम तीखी मिर्चों में भी होता है। रिसर्चरों ने 34 पुरुषों और महिलाओं पर 28 दिन तक परीक्षण के बाद यह नतीजा निकाला।
साभार : होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें
Saturday, May 01, 2010
1st of May, Foundation Day of Gujarat: A Celebration of Swarnim Gujarat - by Narendra Modi
by Narendra Modi
1. May 2010 00:05
Celebrating 50 golden years of progressive journey of Gujarat
प्रिय मित्रों,
आज पहली मई है,
गुजरात का स्थापना दिवस.
गुजरातियों की ५० साल – अर्ध शताब्दी की पुरुषार्थ यात्रा.
गुजरात की स्थापना के लिए कई होनहार युवाओ ने बलिदान दिया है.
कई पीढ़ियों ने गुजरात की प्रगति के लिए अपनी जवानी न्यौच्छावर की है. अकाल हो, बाढ़ हो, चक्रवात हो या भूकंप हो – ऐसी कई आपदाओं का न केवल सामना किया बल्कि हर बार आपदा को एक अवसर के रूप में परिवर्तित भी किया है.
गुजरात की विकास यात्रा कई बार राजनीतिक कूटनीति का शिकार भी बनी, परंतु राजनीतिक इच्छाशक्ति से विकास की गाड़ी पटरी पर वापस लौट आई एवं पूरी रफ्तार से आगे बढ रही है.
गरीब से गरीब आदमी हो, साक्षर हो या अनपढ़, शहरी हो या ग्रामीण, पुरुष हो या महिला, युवा हो या वरिष्ठ हो – हर एक गुजराती ने गुजरात को आगे बढाने में कुछ ना कुछ योगदान जरूर दिया है.
गुजरात को प्यार करने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त करने का यह अवसर है.
मैं ...
गुजरात के लिए जीने वाले
गुजरात के लीये झुझने वाले
गुजरात के लीये पुरुषार्थ करने वाले
सभी का
हृदय से
धन्यवाद करता हुं.
जनता भगवान का रूप होती है. स्वर्ण जयंती के पावन अवसर पर, जनता मुझे आशीर्वाद दें, ताकी मैं अधिक से अधिक शक्ति के साथ, परिश्रम से, निष्ठापूर्ण तरीके से आप सबका साथी बनकर आपकी सेवा में सक्रिय रहुं – और आप सब के द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभा सकुं.
जय माँ गुर्जरी.
जय माँ भारती.
जय जय गरवी गुजरात.
जय जय स्वर्णिम गुजरात.
http://www.narendramodi.com/ से साभार.
Friday, April 30, 2010
Thursday, April 22, 2010
ધોલેરા SIR .... ગુજરાત (GUJARAT) CAN .... ગુજરાત (GUJARAT) WILL
ગુજરાત CAN... ગુજરાત WILL ...
Sunday, February 07, 2010
Hindu Concept of the Beginning and End of Universe
Watch this video and you decide
यह विडीयो देखें और आप खुद तय करें ...
HINDUISM -- SCIENTIFICALLY proven RELIGION (part 3 of 3)
Watch this video and you decide
यह विडीयो देखें और आप खुद तय करें ...
HINDUISM -- SCIENTIFICALLY proven RELIGION (part 2 of 3)
Watch this video and you decide
यह विडीयो देखें और आप खुद तय करें ...
HINDUISM -- SCIENTIFICALLY proven RELIGION (part 1 of 3)
Watch this video and you decide
यह विडीयो देखें और आप खुद तय करें ....
Saturday, January 09, 2010
गणपत युनिवर्सिटी का तीसरा दिक्षांत समारोह - श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिक्षांत प्रवचन - दिनाक 04 जनवरी, 2010
श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिक्षांत प्रवचन -
दिनाक 04 जनवरी, 2010
दिनाक 04 जनवरी, 2010 को महेसाणा स्थित गणपत युनिवर्सिटी का तीसरा दिक्षांत समारोह आयोजित हुआ. इस दिक्षांत समारोह में गुजरात के लोकप्रिय एवं कर्मनिष्ठ मुख्यमंत्री ने दिक्षांत प्रवचन दिया. इस प्रवचन में समग्र गुजरात के विद्यार्थी आलम एवं युवाधन को दिया संदेश ... आपके श्रवण के लिये यहां सादर प्रस्तुत है :
Sunday, January 03, 2010
क्षमाप्रार्थना ....
सभी पाठकगण की जानकारी के लिये कि यह कविता श्री विजय अनन्त जी ने मुझे उपलब्ध करवाई है और उसके लिये मैं उसका अत्यंत आभारी हूं.
विजय अनन्त जी से पुन: क्षमाप्रार्थना ....
उनका संपर्क सूत्र ...
विजय अनन्त, 788, सेक्टर 16, पंचकूला, चंडीगढ़,
+919815900159, http://vijayanant.blogspot.com
यदि आप सभी संदेश पढ़ना चाहते हैं, यहां देखें-
http://groups.google.com/group/anant-sevashram