कब तक ढोते रहोगे तुम
मेरी यादों को ?
कितने क्षण ?
- लाखों - करोडों क्षण ?
ठीक है, याद ढोना नहीं,
- याद करना नहीं।
परंतु
इतना जरूर करना
भूल मत जाना.
Friday, June 22, 2007
Friday, June 15, 2007
आओ चले कहीं दूर
आओ चले कहीं दूर
चले सपनों के गांव में
खेलें चलो हाथ पकड़कर
जरनोँ की मस्ती से
घूमें चलों साथ चलकर
पहाडों की बस्ती में
वादियों को हम चूमें
चलो साथ बागों में
आओ चले कहीं दूर
चले सपनो के गांव में
तू जो साथ चल दे मेरे
चल देंगी ये राहें
तू जो रहे पास मेरे
खिल उठेंगी बहारें
डाले हम डेरा तेरी
नजरों की छांव में
आओ चले कहीं दूर
चले सपनों के गांव में
चले सपनों के गांव में
खेलें चलो हाथ पकड़कर
जरनोँ की मस्ती से
घूमें चलों साथ चलकर
पहाडों की बस्ती में
वादियों को हम चूमें
चलो साथ बागों में
आओ चले कहीं दूर
चले सपनो के गांव में
तू जो साथ चल दे मेरे
चल देंगी ये राहें
तू जो रहे पास मेरे
खिल उठेंगी बहारें
डाले हम डेरा तेरी
नजरों की छांव में
आओ चले कहीं दूर
चले सपनों के गांव में
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