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Wednesday, April 22, 2009
सनस्ट्रोक या लू लगना
पाठक गण
यह आर्टिकल
Dr. प्रभात टंडन जी
के होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें ब्लोग पर से साभार प्रस्तुत है।
सनस्ट्रोक या लू लगना
April 22, 2009 ·
गर्मी उफ़ान पर है , इस वर्ष लखनऊ का तापमान गत वर्षों के अपेक्षा अधिक ही दिख रहा है और पिछले कई दिनों मे आने वाले रोगियों मे भी तापाघात या heat stroke के केस अधिक ही दिखे । थोडी सी सावधानी , होम्योपैथिक औषधियों का सही लक्षणॊं पर चुनाव लू लगने के केसों को सरलता और सुगमता से निपटा सकते हैं ।
लू लगना या heat stroke दोनो ही स्थितियाँ लगभग एक सी होती हैं । जहाँ सूर्य की तेज किरणॊं के सीधे गिरने से लू लग सकती है वहाँ कारखानों , भट्टी , होटल आदि मे काम करने वाने श्रर्मिकों को भी गरमी के कारण तापाघात हो सकता है ।
लेकिन पहले लक्षण :
१) रोगी का बैचेन और उदासीन दिखना । नियमित काम करने मे अनिच्छा ।
२) नाडी की गति अधिक बढ जाने के फ़लस्वरुप रोगी का तापमान १०१-१०४ तक हो जाना ।
३) बार-२ प्यास लगना ।
४) अधिक तापमान के कारण बेहोश हो जाना ।
५) चेहरा लाल , सर दर्द , जी मिचलाना और उल्टियाँ होना ।
प्राथमिक उपचार :
१) रोगी के शरीर को ठंडा करें ,बर्फ़ की पट्टियाँ रखें और यदि रोगी होश मे है तो तापमान कम करने के लिये तुरन्त नहलायें । कमरे मे पंखे , कूलर या ए.सी जो भी सुविधा हो उसे बन्द न करें ।
२) नाडी और तापमान हर आधे घंटॆ पर देखते रहें ।
३)यदि रोगी होश मे है तो निर्लजीकरण पर ध्यान रखें और ग्लूकोज और नमक या ओ.आर.एस. युक्त पानी लगातार देते रहें ।
४) कोई भी औषधि देने के पहले चिकित्सक की राय लें ।
५) लू से बचाव के लिये घर से निकलने समय खाली पेट न निकलें , ताजा खाना खायें , आम और पोदीना का पन्ना , दही का मट्ठा , नीबू की शिकजीं , प्याज का अधिक प्रयोग लू से बचाव करने मे कारगर है । बासी खाने , चाट , और जहाँ तक संभव हो गर्मी के दौरान माँसाहारी खाने से बचें ।
होम्योपैथिक उपचार :
ग्लोनाईन ( Glonine ) इस रोग की प्रधान दवा है ; इससे आराम न मिलने पर बेलोडोना ( Belladona ) ३० पोटेन्सी मे दवा का चुनाव करें और १५-१५ मिनट के अन्तर पर प्रयोग करें । आराम मिलने पर दवा का अन्तर बढायें ।
camphor, opium, bellis pernis भी अपने –२ विशिष्ट लक्षणॊं के अनुसार मुख्य दवाओं की श्रेणी मे आती है और एक कुशल होम्योपैथ की सलाह दवा प्रयोग करने के पहले अवशय लें । सनस्ट्रोक होने के बाद की हालत मे अगर रोग पुरना रुप धारण कर रहा है तब agaricus, anacardium और थोडी सी धूप मे सर दर्द बढने पर natrum mur, natrum carb और baryta carb की व्यवस्था करे ।
बेहोशी की हालत मे रोगी को औषध सेवन करने की क्षमता न रहने पर चुनी हुई औषधि को सफ़ कपडे या रुमाल मे रख कर सुघांये और बाद मे आरम मिलने पर दवा पीने को दें ।
यह आर्टिकल
Dr. प्रभात टंडन जी
के होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें ब्लोग पर से साभार प्रस्तुत है।
सनस्ट्रोक या लू लगना
April 22, 2009 ·
गर्मी उफ़ान पर है , इस वर्ष लखनऊ का तापमान गत वर्षों के अपेक्षा अधिक ही दिख रहा है और पिछले कई दिनों मे आने वाले रोगियों मे भी तापाघात या heat stroke के केस अधिक ही दिखे । थोडी सी सावधानी , होम्योपैथिक औषधियों का सही लक्षणॊं पर चुनाव लू लगने के केसों को सरलता और सुगमता से निपटा सकते हैं ।
लू लगना या heat stroke दोनो ही स्थितियाँ लगभग एक सी होती हैं । जहाँ सूर्य की तेज किरणॊं के सीधे गिरने से लू लग सकती है वहाँ कारखानों , भट्टी , होटल आदि मे काम करने वाने श्रर्मिकों को भी गरमी के कारण तापाघात हो सकता है ।
लेकिन पहले लक्षण :
१) रोगी का बैचेन और उदासीन दिखना । नियमित काम करने मे अनिच्छा ।
२) नाडी की गति अधिक बढ जाने के फ़लस्वरुप रोगी का तापमान १०१-१०४ तक हो जाना ।
३) बार-२ प्यास लगना ।
४) अधिक तापमान के कारण बेहोश हो जाना ।
५) चेहरा लाल , सर दर्द , जी मिचलाना और उल्टियाँ होना ।
प्राथमिक उपचार :
१) रोगी के शरीर को ठंडा करें ,बर्फ़ की पट्टियाँ रखें और यदि रोगी होश मे है तो तापमान कम करने के लिये तुरन्त नहलायें । कमरे मे पंखे , कूलर या ए.सी जो भी सुविधा हो उसे बन्द न करें ।
२) नाडी और तापमान हर आधे घंटॆ पर देखते रहें ।
३)यदि रोगी होश मे है तो निर्लजीकरण पर ध्यान रखें और ग्लूकोज और नमक या ओ.आर.एस. युक्त पानी लगातार देते रहें ।
४) कोई भी औषधि देने के पहले चिकित्सक की राय लें ।
५) लू से बचाव के लिये घर से निकलने समय खाली पेट न निकलें , ताजा खाना खायें , आम और पोदीना का पन्ना , दही का मट्ठा , नीबू की शिकजीं , प्याज का अधिक प्रयोग लू से बचाव करने मे कारगर है । बासी खाने , चाट , और जहाँ तक संभव हो गर्मी के दौरान माँसाहारी खाने से बचें ।
होम्योपैथिक उपचार :
ग्लोनाईन ( Glonine ) इस रोग की प्रधान दवा है ; इससे आराम न मिलने पर बेलोडोना ( Belladona ) ३० पोटेन्सी मे दवा का चुनाव करें और १५-१५ मिनट के अन्तर पर प्रयोग करें । आराम मिलने पर दवा का अन्तर बढायें ।
camphor, opium, bellis pernis भी अपने –२ विशिष्ट लक्षणॊं के अनुसार मुख्य दवाओं की श्रेणी मे आती है और एक कुशल होम्योपैथ की सलाह दवा प्रयोग करने के पहले अवशय लें । सनस्ट्रोक होने के बाद की हालत मे अगर रोग पुरना रुप धारण कर रहा है तब agaricus, anacardium और थोडी सी धूप मे सर दर्द बढने पर natrum mur, natrum carb और baryta carb की व्यवस्था करे ।
बेहोशी की हालत मे रोगी को औषध सेवन करने की क्षमता न रहने पर चुनी हुई औषधि को सफ़ कपडे या रुमाल मे रख कर सुघांये और बाद मे आरम मिलने पर दवा पीने को दें ।
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