अभी अभी मेरे वक्ष से कुछ निकला है।
मैं उफ भी न कर सका कि
वह मेरे सामने आकर बैठ गया।
दर्द का जिस्म से ईस तरह अलग हो जाना
हर एक रात की बात नहीं है.
कभी कभार तो मैंने ही बहुत कोशिशें की है
उसे बाहर निकाल खिंचने की
पर वह ईस तरह निकल आयेगा
कभी सोचा ही नहीं था.
आज रात मुजे तेरी बहुत याद आ रही है.
Monday, May 28, 2007
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