आओ ! फिर से जियें हम
आओ ! फिर से जियें हम,
एकदूसरे को एकदूसरे में समेटकर
खोज निकालें
नयी राह पर
नयी-सी मझिल।
झिल भरकर यादों की
बहती धारा बन जायें हम,
आऒ, एक नया शहर बसायें हम।
पंख लगाकर छूएं आसमां ...
निर्मल, निश्चल होकर
आऒ, डूबें
एकसाथ में
समंदर के गहरे तल में।
हाथ पसारें,
बांह डालें,
चलें डगर पर
एकदूजे का विश्वास लिये हम।
आऒ - फिर से जियें हम.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment