Monday, June 15, 2020

तीन कविताएं

तीन कविताएं




()




मेरी आंखों में उमडते हुए समंदर की हरएक बुंद में
तेरी तस्वीर बंद है .

तेरी हरएक तस्वीर को मैं झांका करता हूं

चोरी-चोरी, चूपके-चूपके .


मेरे होठों पर कई दिनों से

तितली बैठने नहीं आयी .


मेरी आंखों में कई दिनों से

एक कटी-पतंग उड रही है .


मेरे कानों में निरव स्वर ने

झंकार देना छोड दिया है .


मेरी अंगूलियों ने स्पर्श संवेदना

गंवा दी है .


मैं एक बुत-सा बन गया हूं -

मुझे पारसमणि की तलाश है .

तुम कब आओगी ?


(२)


तुम कब आओगी ?


रात के अंधेरों ने

मुझे बिस्तर पर तडपते हुए देखा है .


कभी-कभार खुली आंखें

सपना देख रही होती है .

बगल में रहे पेड के पत्तों की खडखडाहट

झांका करती है ,

मेरे बिस्तर पर , जो मेरे जिस्म से

भरा पडा होता है .


चूपके-चूपके याद दस्तक दे जाती है

मेरे उद्विग्न मन के पट पर

और

उस रात मैं ज़िंदा जलाया जाता हूं

- उन यादों के हाथों , जो तेरे जाने के बाद आती है .

मेरे कानों में तेरे अटहास की आवाज़

गुंज़ने लगती है .


उस दिन मेरा बिस्तर मुझे

मेरी आंखों के नीचे गिला हुआ मिलता है

फिर मैं अपने आपको पुछ बैठता हूं

तुम कब आओगी ?



(३)


तुम आओगी या नहीं ?



अध खुली आंखों मैं इंतज़ार ने

अभी-अभी टपकना शुरू किया है .

टेबुल पर पडी किताब के पन्ने

छत पर लटके पंखे से उलटते रहते है .


तुम आओगी या नहीं

यह मुझे नहीं पता

मगर

हररोज़ तुम्हारी याद सपनों में आकर

मुझे जागने को विवश कर देती है .


कभी उत्तर मिलेगा या नहीं

कि

तुम आओगी या नहीं ?
member of
अपनी माटी
www.vijaykumardave.blogspot.com India Search
Powered by WebRing.
Tamazu: Gujarati blogs Top Blogs Blog Directory Bloggapedia, Blog Directory - Find It! Blog Listings Hindi Blog Directory Review My Blog at HindiBlogs.org Gathjod Directory BlogTree.com Blog Directory See this Site in Gujarati Add My Site Directory